Thursday, August 25, 2016

कैसे आगे बढ जाउ

देखों न सब कह रहे है
रुक क्यों गई हो?
एक जगह खड़ी क्यों हो?
आगे बढ़ो
दुनिया किसी के जाने से 
रुक् थोड़ी न जाती है?
कोई भी मंज़र परदे पे 
ज्यादा देर टिका रहे तो
परेशान कर देता है
ये सब दुनियादारी की बातें
मुझे भी पता है
लेकिन क्या करू
आँखों से तुम्हारा चेहरा
ओझल ही नहीं होता
बात बात पे तुम्हारी याद आती है
आँखे तुरंत भर आती है
कैसे भुलु तुम्हे?
तुम्ही बताओ?
कैसे बढूँ आगे?
तुम्हारे बिना
साथ चलने का वादा 
किया था न तुमने
कहा था तुम्हे कन्धा देकर
अंतिम विदा दूंगा
लेकिन ये क्या
तुम तो खुद ही
दुसरे का कन्धा ले
चल पड़े 
अनंत यात्रा की ओर
जहाँ सबका जाना तय है
लेकिन इतनी जल्दी नहीं
बीच रस्ते पे भी नहीं
मेरा रास्ता तुम्हारे साथ था
तुम्हारी तरह था
लेकिन अब
जब मंजिल ही न रही तो रास्ता कैसा
उम् भर सोचते रहे
चलो अब मिलेगी मंजिल
सब्र करते करते आ गए
उम् के इस मोड़ तक
अब न मोड़ रहा न मंज़िल
बोलो कैसे बढूँ आगे?
कैसे चलु अकेले?
तुम्हारे बिना
शायद अब संभव नहीं ये सब??????
एक अनुत्तरित प्रश्न

1 Comments:

At August 30, 2016 at 3:41 AM , Anonymous Anonymous said...

OHHH....

 

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