Monday, November 30, 2015

mera hona


जब भी मैं मुस्काती, 
तुम हंस देते हो..
जब मैं चुप हो आती..
तुम भी क्यूँ 
सब कुछ खो सा देते हो...
क्यूँ अटकती हैं तेरी साँसे..
मेरे होने और ना होने से..
मुझसे हैं ये तेरा जीवन 
क्यूँ ऐसा कह देते हो..
मुझको लगता हरदम डर सा..
तुमको बस खो देने का..
नही कर पाती इज़हार इसलिए..
तेरे अपना होने का..