Thursday, June 18, 2015

इंतज़ार

माँ बहुत खुश थी जबसे सुना बड़ा बेटा सपरिवार गर्मियों की छुट्टियों में आ रहा है वैसे भी सबसे बड़ा होने के कारन उस पुत्र को माँ कुछ ज्यादा ही प्यार करती थी दिन भर इन्तेजार किया यहाँ तक की दोपहर का खाना भी नहीं खाया की जब वो अ जायेगा तब साथ में खाएंगे लेकिन ट्रेन लेट थी और आते आते शाम के 6 बज गए पुत्र को देख कर माँ के चेहरे पर संतोष देखने लायक था पुत्र भी जैसे माँ के लिए ही आया हो शाम को माँ की पसंद की मिठाई और न जाने क्या क्या सामान सब ढेर लगा दिए एक दिन अच्छे से गुजर गया दुसरे दिन पुत्र बोला माँ हर साल आता हूँ और यहीं से लौट जाता हूँ पत्नी और पुत्री की जिद है की आप तो हमें कहीं घूमाने नहीं ले जाते सो हम लोग और छोटे भाई का परिवार मिलकर पास के हिल स्टेशन तक घूम आते है माँ को क्या कहना था प्रोग्राम तो पहले से ही तय था बस माँ की सहमति की मुहर लगनी थी सो लग गई सब लोग मिल कर घूमने चले गए घर में रह गई तो सिर्फ अकेली माँ जिसे बेटे के आने का सबसे ज्यादा इंतज़ार था।
माँ तब भी अकेली थी । माँ अब भी अकेली है।