Tuesday, June 9, 2015

kirchi kirchi ankh me

किरची किरची 
आँख में 
समां गया कोई
देता रहा टीसन.. 
दर्द बढ़ा गया कोई
अपना कहूँ 
या
 बेगाना
याद दिल में  अपनी 
जगा गया कोई
भूल जाने को
 दिल नहीं करता
पास आने से उसके
 है दिल डरता
ये अजीब सा रिश्ता 
बना गया कोई
रुकते नहीं कदम
साथ चलते रहे हम
कानो में 
फुसफुसा गया कोई
आ जाओ की 
मोहबत को अंजाम मिले
दिल की धड़कनो को सुना गया कोई

2 Comments:

At June 15, 2015 at 2:10 AM , Anonymous Anonymous said...

nice one ...:)

 
At October 9, 2015 at 4:23 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

thanks Anonymous...

 

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