Saturday, July 26, 2014

अपने आप पे रहम करो..



हवा को कभी पकड़ा जा सकता हैं.. 
खुश्बू को कभी बाँधा जा सकता हैं.. 
दरिया को कभी रोका जा सकता हैं.. 
रेत को कब तक मुट्ठी मे रोका जा सकता हैं.. 
बताओ...है कोई जवाब तुम्हारे पास 
तुम सब जानते हो..फिर भी पकड़ना चाहते हो परछाई को.. 
जिसका अपना कोई अस्तित्व नही होता 
वो तो बस चलती हैं..सामनेवाले के सहारे.. 
क्यूँ बार बार ले आते हो ...अतीत को सामने.. 
मैं कहती हूँ मत पकडो...समय की चाल को समझो.. 
उसके खेल को समझो...जो तुम्हारे ज़रिए खेलना चाहता हैं.. 
ले आया हैं एक नियती बनाकर.. 
सच्ची...अपने साथ इतना रूखापन ठीक नही 
तुम्हारे अंदर रस का दरिया मैने देखा हैं.. 
जिसे तुमने बाँध बनाकर रोक दिया हैं.. 
बहने दो.. रसवन्ती की तरह...जो कभी नही रुकती... 
बस चलती हैं..उड़ती हैं..मस्त रहती हैं..बिखेरती हैं खुशी 
जिसके संपर्क मे आती हैं..तुम भी बन जाओ..उसकी तरह.. 
जीने का मज़ा लो..मत दो सज़ा खुद को.. 
अपने आप पे रहम करो..

Thursday, July 24, 2014

मैं भी बेबस फील करता हूँ खुद को..


अलग होते ही ऐसा क्यों लगता हैं मुझे
बेजान सी हो जाती हूँ मै
उसने मुझसे इतने भोलेपन से पूछा
मेरे तो हँसी  आ  गई
मैं और भी मासूम  बन  गया उसके सामने
मैंने कहा ....और क्या महसूस करती हो तुम मेरे बिन?
अब उसकी रोने की बारी  थी 
आँखों में मोटे मोटे आंसू आने ही वाले थे
मैंने झट समर्पण का भाव अपना लिया
बोला ....अच्छा रहने दो
मुझे पता हैं तुम्हारा जवाब क्या होगा
पता नहीं क्यों ?
उसकी आँख में आंसू मुझे अंदर तक भेद देते हैं
नहीं सह पाता  उसका रोना या दुखी होना
वैसे तो मैं बहुत स्ट्रांग हूँ
लोग मेरी बहादुरी की मिसाले दिया करते हैं
मेरे दोस्त मेरे भरोसे कई लोगो से
पंगा  भी ले लिया करते हैं
लेकिन जब बात कनु की आती  हैं तो ...
मेरी बहादुरी जाने कहाँ चली जाती हैं
उसका प्यार हैं ही ऐसा
मानो जूनून की हद तक
अगर मेरे मुख से कुछ निकला 
समझ लो ....वो कनु के लिए पत्थर की लकीर
अब तो पूरा करके ही दम  लेगी वो लड़की
मुझे भी सौ बार सोचना पड़ता हैं
उसके सामने ...कुछ कहने से पहले
भावुक इतनी पूछो मत ...डर  लगता हैं ..
परेशानी मे ....कही कुछ कर ना बैठे..
अंजान पगडंडी पे बढ़ते हुए आज हम दोनो को
पूरे तीन साल हो को आए हैं..
बस अब मोहब्बत को ....अंजाम तक पहुचाना बाकी हैं....
शायद वक़्त लगे.. या ये भी हो सकता हैं..और रूहानी जोड़ो की तरह..
हम भी ना मिल पाए... कभी ना एक हो पाए...
डरती हैं वो... थोड़ा थोड़ा... या यू कहो...नही चाहती कुछ ऐसा
जो उसे समाज की नज़रो मे गिरा दे...
ओह कनु ...तू कितनी भोली हैं..कुछ नही समझती..
मैं मन ही मन बुदबुडाया..
बिना परीक्षा के कहीं परिणाम मिलते हैं..???
कड़ी मेहनत.... सुखद परिणाम..
यही सुनता आया था अपनी माँ से..
अब शायद परीक्षा की बारी हैं..
कनू प्ल्ज़्ज़... हारना मत..
क्यूंकी तुम्हारे सवाल का यही जवाब हैं...!!!!!!
अलग होते ही बेजान से क्यूँ हो जाते हैं हम..
सो अलग नही होना..किसी भी कीमत पे
अलग मत होना..जुदा मत होना ...लव यू प्यारी कनु
मैं भी बेबस फील करता हूँ खुद को..
तुम्हारे बिना!!!!!!!!

लोंग ड्राइव


तुम भी ना... 
मुझे छेड़ छेड़ कर ले जाते हो  
अतीत मे.. 
मुझे खुलना पसंद नही.. 
तुम ये अच्छे से जानते हो  
फिर भी.. 
ना जाने क्यूँ यादों को सहलाने मे  
तुम्हे अलग आनंद आता हैं.. 
हर बात तुम्हे रोमांचित कर जाती हैं... 
जो हम दोनो से जुड़ी हो.... 
कभी लोंग ड्राइव वाली बात... 
जब मस्त पवन के झोके के साथ 
हम शहर से कितनी दूर निकल आए थे 
याद ही नही रहा पलट कर घर भी जाना होता हैं.. 
तुम्हारा ड्राइविंग सीट पे होना .. 
मेरा अपनी घनी ज़ुल्फो से तुम्हे छेड़ना 
फिर हमारा ..ज़ोर ज़ोर से एक साथ गाना गाना... 
सच बहुत अच्छे दिन थे...क्या कॉलेज लाइफ थी.. 
तुम्हारे साथ बिताया हर लम्हा... 
आज भी मेरी आँखो मे क़ैद हैं.... 
बस पुरानी अलबम को पलटना  
ज़रा मुश्किल हो जाता हैं मेरे लिए 
जब तुम कहते थे सुनो... 
मुझे अलग सी taan सुनाई देती थी...उस सुनो मे.. 
लगता था कभी अलग नही हों 
यू ही जिंदगी चलती रहे रफ़्तार से.... 
तुम्हारे साथ..कभी ना लौटना पड़े... 
पुराने..पथरीले रास्ते पे.... 
लेकिन 
क्या कभी अपना सोचा होता हैं... 
तुम्ही से सुना था..जिंदगी बहुत छोटी होती हैं.... 
जी लो इसे जान लड़ा कर.. 
तब मुझे तुम्हारी बात समझ नही आई थी.. 
चुलबुली सी छोटी लड़की...जिसने अभी अभी 
तुम्हारे सामने आँखे खोली हो... 
उसे क्या समझ....अपना सोचा कभी नही पूरा होता 
वक़्त के साथ दौड़ना पड़ता हैं... 
लेने पड़ते हैं कई निर्णय... 
जो हमे भी अच्छे नही लगते.... 
बताओ ना..हम जिसके साथ उम्र बिताना चाहते हैं 
वो हमसे दूर क्यूँ चला जाता हैं 
अनचाहा रिश्ता क्यूँ निभाना पड़ता हैं... 
मनचाहा क्यूँ नही मिलता.....प्लीज़.. बोलो ना.. 
यही नन्हा सा सवाल हैं मेरा..... 
तुमको तो समझ हैं ना दुनिया की.... 
आज मुझे भी समझा दो ना..