Friday, June 27, 2014

खुश रहने दो उसे....



कल यू ही कुछ
समान पलटते हुए
तुम्हारा खत दिख गया..
जो शायद तुमने
अपने बचपन की
किसी दोस्त को लिखा था....
तुम शायद उस वक़्त उसे
खोजने जाना चाहते थे
लेकिन
मेरा तुमसे ये कहना हैं
दोस्त
अंजान राहों पे चलते हुए
शायद तुम भटक रहे हो
क्यूँ जाना चाहते हो
तुम मुंबई
क्यूँ ढूँढना चाहते हो उसे..
जो तुम्हारा हो ही नही सकता
खुश रहने दो उसे....
अपने वैज्ञानिक पति के साथ....
जो पानी को पानी नही कहता..
एच टू ओ का मिश्रण कहता हैं
जो आकाश मे देखते हुए
बादलो को नही
वॅक्यूम को तलाश करता हैं...
नही दिखता उसे प्यार का रंग
वो तो वीबग्योर (इंद्रधनुष) मे
अठखेलिया करता हैं
वो लड़की भी अब कुछ कुछ
समझने लगी हैं उसकी भाषा
नही लड़ती उस से रंगो की खातिर
नही कहती की मुझे रंग नही
तुम अच्छे लगते हो..
खुश हैं वो..
या
पता नही..
समझौते का दूसरा नाम
जिंदगी हैं
वो ही उसके हिस्से मे आया हो..
तुम क्यूँ उसके पास जाकर
उसके सोए हुए जज्बातों मे
तरंगे भरना चाहते हो
जैसे पानी से छेड़छाड़..
करने से या
शांत पानी मे कंकड़ डालने से
बन जाती हैं गोल गोल तरंगे..
जो स्पांडित करती हैं..
तन और मन दोनो को..
लेकिन
उनका कोई सिरा नही होता..
गोल गोल घूम कर
वही विलोप हो जाती हैं..
ऐसे ही तुम्हारे देखने,
मिलने या पास जाने का
कोई अर्थ नही..
शायद
तुम नही समझ पाओगे
एक स्त्री का मॅन..
जो ना जाने कितना कुछ
समेट कर रखता हैं
अपने भीतर
तुम जीने की बात करते हो ...
तुम तो इस हालत मे
उसे देख भी नही पाओगे...
अब और नही

समझा सकती..

आज इतना ही.

Tuesday, June 24, 2014

तुम्हारा खत मिला...

 तुम्हारा खत मिला...
मीठा सा जवाब था उसमे..
शायद
बरसो से सूखी धरती पे
पानी की कुछ नरम बूंदे
डाल दी थी तुमने
दिल खुशियो से कुछ
हरा सा हो गया था..
ज़ज्बात फूलों की तरह

 दूर दूर तक
महकने से लगे थे..
ये तुम्हारा जादू था..
या
दिल का तरसा हुआ कोना
एक बार फिर...
जीवट हो चुका था
पता नही.
बस खुशी बाटने का
दिल था सबसे
लेकिन  जानती थी..
ये खुशी बाँटने वाली नही..
खुद के भीतर
अंदर ही अंदर
दिल की तहों मे
जज़्ब करने वाली हैं..
बाँट दी तो ये खुशी...
बहुत दूर
चली जाएगी मुझसे
शब्द के तार पे
नाचने लगी थी मैं
तुम्हारी हर बात
बाँसुरी की तान की तरह
मधुर जो लगने लगी थी
हर वक़्त तुम्हारा इंतेज़ार..
जबकि मालूम था
तुम नही आ सकते हो..
इतनी दूर दे..
फिर भी ना जाने क्यूँ????
सूनी आँखो मे तुम्हारा प्यार
चमक रहा था........
जिला जो दिया था तुमने..
उस मुर्दा दिल को..
जो बरसो पहले ही..
मर चुका था.....