Saturday, November 23, 2013

शुक्रिया हैं तुम्हारा


सोच रही हूँ आज कुछ
तुम्हारे बारे मे लिखू
हम कैसे मिले ?
कैसे दोस्ती हुई?
कैसे तुमने मुझे मनाया
कैसे अपना बनाया ?
कौन कौन सी शैतानिया की?
कैसे मुझे कभी सताया ?
कभी रुलाया?
और कभी कभी तो अंजान खुशिया दी
जिसके हम हकदार भी ना थे..
तुम्हारी कसम अब सफ़र मे साथ साथ
बहुत दूर निकल आए हैं...
पहले लगता था डर बिछड़ने का
अब उसे भी कहीं दूर पहाड़ियो पे
छोड़ आए हैं...
अब तो हर वक़्त
यही अहसास रहता हैं
तुम रहते हो हर वक़्त मेरे पास
दिल भी तुम्हारे प्यार की खूनकी से
भरा रहता हैं...
अब दिल मे नही तुम मेरी
रूह मे समाए हो.......
तभी तो.....मेरी यादों की ज़द से तुम
कभी कहीं नही जा पाए हो....
शुक्रिया हैं तुम्हारा जो...
तुम मेरी जिंदगी मे आए हो...



Thursday, November 21, 2013

तुम इतने प्यारे हो



तुम इतने प्यारे हो कि  
तुमसे कोई खफा हो नही सकता 

रूठ कर तुमसे कोई  
चैन से सो नही सकता 
कई बार की हैं मैने कोशिशे  
लेकिन क्या करू 
तुम से बात किए बिना  
सुकून दिल मे हो नही सकता  

चाँदी के तार


तुम्हारे चाँदी  के तार
मुझे बाँध लेते हैं
सच
तुम्हारे चेहरे की ग्रॅविटी
इन चार तारों से
बहुत बढ़ जाती हैं
तुम मे नज़र आता हैं मुझे
एक सुलझा हुआ
एक संवेदनशील इंसान
जो बहुत कुछ सोचता हैं
दुनिया के बारे मे,
मेरे बारे मे, अपने बारे मे...
तुम्हारी यही मेचुरिटी तुम्हे
दुनिया से अलग बनाती हैं
लेकिन .....
लेकिन ....
सुनो ......कुछ ख़ामिया भी हैं
तुम मे जैसे
तुम्हारा मेरी दस बातों का
एक जवाब....
उफ्फ
कभी कभी तो मुझमे
ना जाने कितना आक्रोश
भर देता हैं..................
मुझे पता हैं
तुम सब समझते हो
लेकिन जानकर
अंजान होने का अभिनय
तुमसे अच्छा
कोई भी नही कर सकता
मेरे सवालो के जवाब से
बचने  की खातिर
अख़बार  मे घंटो
मुह छिपाकर बैठे रहना
मुझे सब समझ आता हैं..
अब इतने सालो मे इतनी
अंडरस्टॅंडिंग तो बन ही गई है
तुम्हारे बिना कहे सब जान जाना
मेरी आदत का हिस्सा हो गया हैं
अब जो भी हो...उम्र कटे तो तेरे साथ
तेरे बिना मेरा हर पल उदास
तू रहे हरदम मेरे आस पास
तू ही तो हैं जालिम
मेरी सपनीली  दुनिया का सम्राट  



ख़तरे का निशान


जैसे नदिया ख़तरे के निशान से
उपर होती हैं
काश
ऐसे ही हमारा मन भी
ख़तरे का निशान भाप पाता
और
दुखो से
समय रहते
खुद को उपर कर पाता
हमे तो तब पता चलता हैं
जब हम दुखो के सैलाब मे
डूब चुके होते हैं
और बचने के सारे रास्ते
बंद हो चुके होते हैं
तब बच रहती हैं घोर चिंता
कैसे बचाए खुद को
कौन मिले मांझी
जो पकड़ाए हमे किनारा
ले चले उस पार
जहाँ ना हो दुखो का नामोनिशान

ईश्वर की शिकायत

किसके पास हैं समय
मुझसे बात करने का
हर कोई गुम हैं रोज़ की
जद्दोजहद मे
नही सूझता की कहे थॅंक्स तुम्हे
थोडा सा समय खुद से चुरा कर


तुम्हारा पता जो नही हैं मेरे पास


ये सवाल मुझे
परेशान किए जाता हैं
लिखे हैं तमाम खत तुम्हे लेकिन
अलमारी मे संभाल के रखे हैं
भेजू किस पते पे
समझ नही आता हैं
पड़ जाए ना किसी और के हाथ
हर वक़्त यही डर सताता है
चलो अपना पता लिखो जल्दी से..
मुझे पोस्ट करना हैं तुम्हे
सब खत आज ही...
ताकि तुम तक पहुच जाए
मेरी हर बात
बड़ी सादगी के साथ ही... —

Wednesday, November 20, 2013

तेरी हर बात हैं हंगामा

तुम हो इतने अजीज
तुम्हारे नाम पे दिल
सबका धड़कता हैं
तुम लेते हो साँसे तो
आराम हमको मिलता हैं
तुम्हारी हर करवट
एहसास हैं  हम सबका
तेरी हर बात हैं हंगामा
तेरा  साथ हमको .....
यही हैं हंगामा ..........

बनारस कभी बदल नही सकता

यह जो बनारस है 
कभी बूढ़ा हो नही सकता  
ये साक्षी हैं हमारे इतिहास का.. 
ये धूमिल हो नही सकता 
ये जर्जर इमारते आज भी  
उसकी कला की याद दिलाती हैं.  
गीत, संगीत, कथक  
तबले बाँसुरी जैसे घराने की  
ओर ले जाती हैं  
बनारस कभी बदल नही सकता