Saturday, June 15, 2013

वो ही तेरे दायरे से भाग निकला..


 
तुम्हारी सोच का दायरा इतना बड़ा निकला... 
कि वो ही तेरे दायरे से भाग निकला.. अपर्णा 
 
तुम सच बोलो...चाहे कितना भी नागवार लगे.. 
चुप तो मौत के भी हुआ जाता हैं..अपर्णा 
 
जड़ो से जुड़ कर ही पहचान हैं हमारी... 
शाखो पे तो केवल पत्ती, फल, फूल लगा करते हैं..अपर्णा 
 
मोहब्बत मे बड़े बड़े उजड़े हैं... 
बसा हुआ तो कोई एक भी ना मिला..अपर्णा 
 
वक़्त हैं अभी, घर को सेमेंट से मजबूत करो... 
डाल दो छत, हटा के छप्पर...इतना तो मेरे यार करो..अपर्णा 
 
राजीव भैया कितनो का हाथ थामोगे... 
कोई दिन तो ऐसा आए जब अपनी भी कॉपी जाचोगे.... 
 
सुनकर तेरी बात वो बहुत रोया.... 
समझते हो उसे गैर...अब तक...क्यूँ कर गोया..अपर्णा 
 

Friday, June 14, 2013

मुझे सब याद है..

सताते हम नही
रुलाते हम नही..
बेवजह...दर्द नही देते....अपनो को..

मुझे सब याद है..
तेरा साथ, तेरी याद...तेरी मीठी बात..
प्यार से गले लगाना..दौड़ कर पास आना..
साथ मे गरमागरम चाय पीना..
ढेर सारा बतियाना ..
कुछ नही भूली हूँ.....
जल्द आ रही हूँ तुमसे मिलने...
मिटा दूंगी  सब दूरी......

ग़लत इंसान को बसा लिया होगा..
जो तुम्हे छोड़ कर अकेला ........चल दिया होगा..

तुम्हारा यही प्यार तो हमे अभी तक ताज़ा हैं...
ना भी होगी बारिश तो..क्या .संग भीज लेंगे...तेरे साथ..साथ..

तुम्हारी यही आदत तो अच्छी हैं..
तुम सच्चे बहुत हो...शब्दो मे..




मेरा छोटा सा बेटा हैं......


मेरा छोटा सा बेटा हैं करीब पौने चार साल का..उसे चश्मे का बहुत शौक हैं..हर किसी का चश्मा वो लगा लेता हैं..मैने बोला तुम्हे ला देंगे..आज सुबह हमसे कहता हैं..ममा मुझे ठीक से टीवी नही दिखाई देता..मेरा चश्मा कब लाकर देंगी...मुझे इतनी हँसी आई की पूछिए मत...........कहाँ से उसने अकल भिड़ाई..की ऐसे तो शायद ना मिले चश्मा.. बहाना करो तो ममा ला देगी.. हमारे तो इस उम्र मे अकल ही नही थी..वाह से आज के बच्चे..



Tuesday, June 11, 2013

एक दूजे के जैसे....



दिल का मतलब दिल ही जाने..
हमे तो हैं इतना पता
दिल से दिल जब मिलता हैं..
हम तुम सब खो जाते  हैं..

बच जाता हैं निपट अकेला..
जब सब खो जाते हैं..
दिल की तो दिल ही जाने...
याद मे ही रह जाते हैं..

तुमने कहा मिलकर 

एक जब हो जाते हैं..
बन जाते हैं एक दूजे के जैसे....
मोहब्बत के यही पैमाने हैं..





अमलतास के पीले फूलो से




तुम भी क्या गजब करते हो...
अमलतास के पीले फूलो से
सूखा गुलाब महकाते हो..
सच्ची तुम्हारी आदत नही गई
मुझे बहलाने की..
पहली मानसून की पहली बारिश मे ..
मुझे क्यूँ भिगाते हो..

क्यूँ लगते हो इल्ज़ाम भला मुझ पर
हम तो तुम्हे रोज़ सीने से लगाते हैं..
भूल जाते हो क्यूँ तुम हमारा प्यार..
हम रोज़ ही जो तुम पे बरसाते हैं..

तुमने जो आँखे दिखाई
भाग गई बारिश......
यहाँ भी आ गई धूप...
मुह चुरा गई बारिश...             अब झेलो गर्मी...

उसकी याद........... किसी नेकी से भी कम नही...
क्यूँ ना करे ये दिल....याद याद याद...उसकी याद..

एक हवा का झोंका आया..कानो मे गुनगुनाया..
तेरी याद मे कुछ मुस्कुराया.. कुछ सोचु इस से पहले ही चलता बना..







Monday, June 10, 2013

खाली जगह




"तुम्हारी इस खाली जगह ने तो 
कमाल कर डाला हैं..
पता ही नही चलता कि
प्यार करते हो तुम इतना हमे या..
नफ़रते तुमने दिल मे हमारे लिए पाला हैं..
खुल कर कहो जो कहना हैं...सुना तुमने.."

तितलिया..





खोल के देखो किताबे
रखी हैं किताबो मे तितलिया..
बेजान से...बेरंग सी..
अपने होने की कहानी कहती..
उदास कर देती हैं ये दिल को..
अजीब हैं ये तितलिया..

आँखो का कसूर क्या हैं..



आँखो का कसूर क्या हैं..
दिल ने की मोहब्बत.......

सारे उधार चुका देंगे..
तुम कहो तो..........
सारे खत भिजवा देंगे..

एक दिन मेरा भी होगा विकास..
छू लूँगा आसमान..वक़्त तो आने दो..

प्यार से डाला बीज तो उग आई कविता
तुम्हारी मेहनत से मुस्काई कविता..






बनाते रहो तस्वीर हमारी..






तुम बस यू ही
बनाते रहो तस्वीर हमारी..
सोच लो ...ऐसा ना हो... एक दिन निकल आए
तस्वीर से हम..
फिर क्या करोगे?..अतीत को समेट लोगे..
या वर्तमान मे रहोगे..
समझदारी से काम लेना..
अतीत को भुला...जो सामने हैं
उसी को अपना लेना
"


काँच



हम तभी तो कद्र करते हैं तुम्हारी..
तुम्हारी चाहतो की..तुम्हारे जज्बातो की..
मुझे पता हैं..तुम्हारे सिवा
कोई नही करेगा ऐसा..
काँच के टुकड़ो को संभाल कर रखे.
सबको पता हैं.काँच तो..चुभने के सिवा..
कुछ भी नही देते हमे..
ये चुभन तुम ही कर पाओगे बर्दाश्त..
प्यार जो करते हो इतना.."