Monday, March 18, 2013

इतना गुस्सा !!!!!!!!!!!!!!!!!!


क्यूँ करते हो इतना गुस्सा 
कि कुछ भी याद नही रहता..
भूल जाते हो सब को
अपना भी ख़याल नही रहता
कल ही देखो मैने दो बार 
तुम्हारा कॉल क्या नही लिया
तुमने तो अपने मोबाइल के 
टुकड़े टुकड़े कर डाले
बेचारा मेज पे पड़ा
अभी तक कराह रहा हैं ....
तुम्हे तो कोई सुध ही नही हैं उसकी.
क्या हैं ये गुस्सा .........
कभी खुद पे उतारते हो 
कभी बेजान चीज़ो पे........
कभी बच्चो पर 
कभी मेरे उपर ......
अभी तक बच्चे ही हो..
ना जाने कब बड़े होगे...
कब तक ऐसी हरकते करते रहोगे
पहली बार प्यार मे मेरी एक हां के लिए 
भूख हड़ताल कर दी..
वो भी एक दो दिन नही
पूरे उनतीस दिनो की..
अगर मुझे तरस ना आता तो शायद
मेरे लिए अपनी जान ही दे देते
ये भी कोई बात हुई....
क्या कोई किसी के लिए
ऐसा करता हैं..
हम औरते तो साल मे एक बार 
करवाचौथ का व्रत करती हैं 
उसमे भी तुम लोगो से 
ना जाने कितने नाज़ नखरे उठवाती हैं..
कपड़े, गहने सब ले आती हैं..
एक तुम हो की पूरे २९ दिन 
बिना भोजन पानी के..तड़पते रहे..
मेरी खातिर...एक "हाँ"  की खातिर
सच .....बहुत खौफनाक हैं 
तुम्हारा प्यार  .........और 
उस से खौफनाक हैं 
तुम्हारा गुस्सा............बाप रे ............
याद हैं दूसरी बार जब तुम्हे 
हमारे उपर गुस्सा आया था तो 
अपनी टाँग ही तोड़ ली..थी गुस्से मे 
दिखा ही नही की..तुम्हारी गाड़ी
गड्ढे मे जा गिरी हैं, 
तुम को चोट आ गई हैं..
सच कहा हैं किसी ने 
प्यार और गुस्सा दोनो अंधे होते हैं
इसमे कुछ भी दिखाई नही देता..
ना ऩफा ना नुकसान...
याद रहता हैं तो बस अपना गुस्सा
चलो अब मेरी कसम खाओ...
कभी गुस्सा नही करोगे ..ना मेरे उपर
ना अपने उपर...ना बेजान चीज़ो पे..



तुम आओ रच जाएगा इतिहास नया..



रह गया अनकहा जो तुमने नही कहा...
कह देते जो आज...तो क्या बचता गिले शिकवे को..

मोहब्बतो से बढ़ जाती हैं दुश्वरिया
मोहब्बत करना इतना आसान भी तो नही..

लेखनी जो चल पड़ी रुक ना सकेगी..
रच देगी इतिहास नया.. जो कभी घटा भी नही...

ऐसी भी क्या कहानी जो रचनी पड़े खुद से..
तुम आओ रच जाएगा इतिहास नया..


सदियो से यही होता आया हैं..
अंधे द्रत्ररास्ट्र ने सालो राज़ चलाया हैं
गंधारी ने भी बाँध ली थी पट्टी..
पति का जम के साथ निभाया हैं..