Monday, December 9, 2013

जैसे ही सूरज की किरनो ने छूकर हमको पहनाया सुर्ख लिबास हमने भी ली अंगडाई.....तम भागा ..मन मे भर गया उजास..



जैसे ही सूरज की किरनो ने छूकर हमको पहनाया सुर्ख लिबास
हमने भी ली अंगडाई.....तम भागा ..मन मे भर गया उजास..

दुनिया से अपने क्या सीखा..गर ना आया..सीने पे पैर रख आगे बढ़ जाना..
यही हैं दस्तूर दुनिया का..जो ना आया तुम्हे निभाना.....


रोशनी भर देते हैं दोस्त..जीवन मे..
साथ चले सच्चे बनकर अगर वो हमारे..

तुम्हे क्या हैं ज़रूरत उलझने की... अब किसी से क्या
सब जान जाएँगे...तुम्हारी बात हैं क्या .........
तुम बस चुप रह कर नज़ारे लो..इस दुनिया के..
तुम्हारे लिए...ग़रीबी ... क्या...अमीरी क्या......
तुम ठहरे...फकीर..इस दुनिया. के..

मेरी हँसी...बन जाती हैं खुशी...तुम्हारे लिए..
इतने ही अच्छे रहना हमेशा...हमारे लिए..
 

उवाच से हुआ हमको तुरंत  फायदा..
कर्म सारे काट गये..पाप से ना रहा कोई वास्ता..

देर से ही सही..अच्छा मिला जो मिला..
कुछ देर इसे प्यार से देख तो सही इसे..क्यूँ करता हैं ईश्वर से गिला..

तुम तो खुद हो बसंत का मौसम..
यू ही मुस्कुराते रहना..हमेशा..हमारे लिए

एक इलतजा..
--------------
मत रखना इंतज़ार का कोना..अपने बॅंक मे कभी भी..
वरना तक जाओगे इंतेज़ार करते करते...नही भरेगा..वो कोना..कभी भी..

मुक्ति के रास्ते बनारस से होकर नही...
अपने करमो से होकर जाते हैं............
करमो का ख़ाता खाली....तुम मुक्त..हमेशा के लिए..

उनके एहसास से जीती हूँ..
उनके एहसास से मरती हूँ..
मेरा क्या हैं यहाँ................
मैं तो उन्ही के लिए.....
साँसे लेती हूँ..

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home