Thursday, November 21, 2013

चाँदी के तार


तुम्हारे चाँदी  के तार
मुझे बाँध लेते हैं
सच
तुम्हारे चेहरे की ग्रॅविटी
इन चार तारों से
बहुत बढ़ जाती हैं
तुम मे नज़र आता हैं मुझे
एक सुलझा हुआ
एक संवेदनशील इंसान
जो बहुत कुछ सोचता हैं
दुनिया के बारे मे,
मेरे बारे मे, अपने बारे मे...
तुम्हारी यही मेचुरिटी तुम्हे
दुनिया से अलग बनाती हैं
लेकिन .....
लेकिन ....
सुनो ......कुछ ख़ामिया भी हैं
तुम मे जैसे
तुम्हारा मेरी दस बातों का
एक जवाब....
उफ्फ
कभी कभी तो मुझमे
ना जाने कितना आक्रोश
भर देता हैं..................
मुझे पता हैं
तुम सब समझते हो
लेकिन जानकर
अंजान होने का अभिनय
तुमसे अच्छा
कोई भी नही कर सकता
मेरे सवालो के जवाब से
बचने  की खातिर
अख़बार  मे घंटो
मुह छिपाकर बैठे रहना
मुझे सब समझ आता हैं..
अब इतने सालो मे इतनी
अंडरस्टॅंडिंग तो बन ही गई है
तुम्हारे बिना कहे सब जान जाना
मेरी आदत का हिस्सा हो गया हैं
अब जो भी हो...उम्र कटे तो तेरे साथ
तेरे बिना मेरा हर पल उदास
तू रहे हरदम मेरे आस पास
तू ही तो हैं जालिम
मेरी सपनीली  दुनिया का सम्राट  



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