Wednesday, May 22, 2013

मेरी दीदी

दीदी को जाना हैं एक दिन ....अपने घर
ये सोच कर ही ........आँखे भर आती हैं
दीदी के साथ ..लड़ना, खिलखिलाना, बतियाना
एक एक बात उसे दिल की बताना
मेरे रोजमर्र्रा जीवन का हिस्सा हैं..
जो बात माँ, बापू से भी छिपा जाता हूँ
दीदी के आगे ही अपने आप निकल आती हैं..
जाने क्या बात हैं उसमे..
झूठ पकड़ने की मशीन हो .....वो जैसे
ज़रा सी ज़ुबान लड़खड़ाई नही..
झट से कह उठती हैं..झूठ बोल रहे हो..
मैं भी डर कर सारा सच उगल देता हूँ..
दीदी सच मे बहुत अच्छी हैं..
हर बात मे मेरा ख़याल रखती हैं..
क्या पहनना हैं..क्या खाना हैं..
मुझे क्या पसंद हैं क्या नही..
सब जानती हैं मेरे बारे मे...
यहाँ तक की अगर कहीं से
लौटने मे देर भर हो जाए तो
घर पे तूफान उठा देती हैं....
सच घर खाली कर जाएगी....
ये सोच कर ही दिल काँप जाता हैं..
वो जब जाएगी...अपने साथ
खुश्बू भी उड़ा ले जाएगी...
वो चहल पहल..रौनक, खुशिया 
सपने सब साथ ले जाएगी..मेरी दीदी
अपने घर ...पिया के घर






6 Comments:

At May 23, 2013 at 1:13 AM , Blogger अरुणा said...

सुन्दर भाव पूर्ण रचना

 
At May 23, 2013 at 2:41 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

शुक्रिया अरुणा जी..आपको रचना पसंद आई

 
At May 24, 2013 at 6:48 AM , Anonymous Anonymous said...

didi .......ye didi sab esee hi hoti hai .......

 
At May 26, 2013 at 10:30 PM , Blogger अपर्णा खरे said...

sachhi.....ek din chali jati hain hame chod kar

 
At June 1, 2013 at 9:54 PM , Blogger meri duniya said...

bahut bhavuk rachna

 
At June 3, 2013 at 3:41 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

thanks ....a lot

 

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