Wednesday, February 20, 2013

पशोपेश मेरे मन की..





तुम्हारी मेहन्दी मे
रंग मेरा हैं
उष्मा मेरी हैं, 
उर्जा मेरी हैं
तभी तो हैं ये 
लालोलाल
कर रही तुम्हारी 
हथेली पे कमाल
मत करो चिंता 
कोई तुम्हारा नही
तुम्हे खुद से हैं प्यार
क्या इतना ही काफ़ी नही..
क्यूँ खोजे किसी और को 
जो हमे प्यार करे, 
मन हो तो ठोकर दे
हमे छोड़ के चल दे...
नही चाहिए ऐसा प्यार
आज से कहो..
हमे खुद से हैं प्यार..
हम हमारे अपने हैं यार



5 Comments:

At February 20, 2013 at 8:30 PM , Blogger Dinesh pareek said...

बहुत खूब वहा वहा क्या बात है

मेरी नई रचना

खुशबू


प्रेमविरह


 
At February 20, 2013 at 8:43 PM , Blogger अपर्णा खरे said...

shukriya Dinesh ji....

 
At February 20, 2013 at 10:42 PM , Blogger Tamasha-E-Zindagi said...

आपकी यह पोस्ट आज के (२१ फ़रवरी २०१३) Bulletinofblog पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई

 
At February 21, 2013 at 12:45 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

shukriya Tushaar ji...

 
At February 21, 2013 at 8:37 PM , Anonymous Anonymous said...

mujhe bahut khushi hui ........badhai aap sabhi ko .....

 

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