Monday, January 7, 2013

जिंदगी की सांझ मे कुनकुनी धूप






जिंदगी की सांझ मे कुनकुनी धूप
सच उतर आए आँगन मे तो..
जिंदगी भी सुहानी हो उठती हैं
प्यार का लंबा सफ़र ....
मनचाहा साथी...
जिंदगी की रागिनी गा उठती हैं...
नाच उठता हैं मन का मयूर..
लंबी जिंदगी भी ठहर जाती हैं....
देखती हैं खुद को खुद से......
रह जाते हैं कुछ एहसास अनोखे से..
जो  ता उम्र जिंदा रखते हैं प्यार की उष्मा को..
कभी पानी ना पड़ने देते अपने प्यार पे..
यही हैं प्यार का ठहराव...जिंदगी का ठहराव..
मन का ठहराव.....

2 Comments:

At January 7, 2013 at 4:19 AM , Anonymous Anonymous said...

This comment has been removed by the author.

 
At January 8, 2013 at 2:00 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

kya hua...jindagi ko

 

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