Thursday, January 31, 2013

यादों की गठरी बगल मे दबाए निकल पड़ी हूँ.. जाना था कहाँ..जाने कहाँ चल पड़ी हूँ..



तू मेरा हो भी जाता तो भी ना मेरा बोझ ढो पाता
मेरी भी अपनी आन हैं..अकेले जीने मे मेरी शान हैं..

दिल भरा हो, आँखो को हँसना पड़े..
ऐसा मौका जिंदगी मे बार बार आता रहे..

तलाश डाले सारे रास्ते कुछ भी ना मिला..
छोड़ के जाना था मुझे.थक कर वो अकेला ही चला..

यादों की गठरी बगल मे दबाए निकल पड़ी हूँ..
जाना था कहाँ..जाने कहाँ चल पड़ी हूँ..

जाओगे तो........ आओगे अम्मी कहा करती हैं..
सच पास आने के लिए दूरिया ज़रूरी हैं..

याद आ गया साथ गुज़रा वो पल...
जिसके सहारे जीते हैं हम आज कल

इबादत यू भी हुआ करती हैं
झुकता नही हैं सर..नज़रे सजदा करती हैं..

उनके सजदे मे दे दो जान..
वो उठ गये महफ़िल से तो
जान भी निकल ही जाएगी..

नियति की गाँठ नियति ही खोल पाए हैं
हम सब तो हैं कठपुतली...उसके इशारे पे नाच पाए हैं..

अच्छी तालीम से ही पूरी होती हैं हसरतें
हुकुम की तामील भी हुआ करती हैं..

दादा आप गये हो फिर भी जिंदा हो ..
हमारे जहाँ मे..दिलो दिमाग़ मे
तुम्हारा स्नेह याद आता हैं हमे....
हर ख़यालात मे...
आपको कभी ना भूल पाएँगे
आप हमेशा हमे यू ही याद आएँगे...
शत शत नमन...


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