Tuesday, December 18, 2012

ज़्यादा अपनापन..रुला देता हैं..

फलक से लाएँगे तुमको..चाँद की डोली मे बिठा कर...
तुम हो लाजवाब...मेरी जिंदगी .....मे ....मेरे प्रियवर

शरम आती नही इन दरिंदो को..
लूट लेते हैं घर मे ही घर की इज़्ज़त को..

माँ की भी झुक गई होंगी आँखे..
जब समाचार उसने ये पाया होगा

जब से उसने कहा मुझे पाना एक ख्वाब है´
इन पॅल्को ने कम्बख़्त जागना भुला दिया

उम्र भर बिखरे रहे तुमहरे लिए..
तुमने कुछ ना पूछा...मुझसे..समेटा और...बहा दिया

कितना गहरा नाता हैं..पीते ही छलक जाता हैं..
चॅड जाता हैं नशा..छलकाने से..पीने मे क्या मज़ा आता हैं..

सच  कहा ज़्यादा अपनापन..रुला देता हैं..
आँखो मे आँसू ला देता हैं..
झर उठता हैं प्यार जब उसका...

कहा था मीरा ने भी किसी संत से यही..
मिलना हैं जो मुझसे अकेले मे तो मंदिर मे आ यही..


Monday, December 17, 2012

कल तक सफ़र पे था..आज अपने घर गया..



बुलंदी पे आज जो  नज़र आता हैं...
गिरता नही सीधे लुढ़क जाता हैं..

खवाबो से कह दो आज ना आए..
हम सो रहे हैं हमे नींद से ना उठाए..

राह के मुसाफिर राह मे मिले...
साथ चले....बैठे ...जुदा हो गये..

सूरज जो उतर आया तेरे आँगन मे..
अंधेरा भाग जाएगा तेरे  जीवन से

करते हो जब किसी को इतना प्यार  तो
नाराज़  क्यूँ होते हो..पकड़ के उनकी बाह
पार क्यूँ नही होते हो..

हो पाया हैं भला कौन मुककमल यहाँ..
दुनिया की भीड़ मे सब अधूरे हैं

सब कहते हैं वो मर गया
हम ने कहा..........
कल तक सफ़र पे था..आज अपने घर गया..

Sunday, December 16, 2012

आज तो कह देते प्यार से रुक जाओ..मुझे शिकायत हैं तुमसे आज भी जाते समय तुम्हारा लहज़ा हैं आदेशाना


बंद खिड़कियो से यही आवाज़ आती हैं..
मैं हूँ तेरी ये क्यूँ भूल जाती हैं..

आ जाओ सब दोस्तो..मैया बुलाती हैं...
जमाते हैं महफ़िल आज फिर....ये बताती हैं..

हुस्न की उदास शाम क्यूँ उदास हैं
कभी ये भी पूछिए...क्या दिया हैं खो उसने...जान लीजिए

पत्थर तो जख्म दिया करते हैं..
मोहब्बत मे दिल लूटा करते हैं..
वास्ता दिल का हो या मोहब्बत का..
रोया तो इंसान ही करते हैं

प्रेम की अनुभूति सबके बस की बात नही..
ये वो आग हैं जिसमे..आच नही..

हमारी हर बात ग़ज़ल की तरह..
तुम सुनते रहो..हम सुनाते रहे..पुरानी नज़्म की तरह

सोच के झूठ सच्चा दिल घबराता हैं..
दिल तो तरह तरह के ख़याल लाता हैं..

गर जा रहे हो अपनी मर्ज़ी से...
पीछे दरवाजा बंद करके जाना..

आज तो कह देते प्यार से रुक जाओ..मुझे शिकायत हैं तुमसे
आज भी जाते समय तुम्हारा लहज़ा हैं आदेशाना

बंद शब्दो मे दे दी हैं इज़ाज़त  तुमको..को
जो भी करना हैं मेरे यार करो..

याद करना तुम्हे अब तो फ़ितरत हैं मेरी..
बन गये हो..अब हर पल तुम ज़रूरत मेरी

सुना था पुरानी शराब मे नशा होता हैं..
लेकिन आप का अनुभव तो कुछ और कहता हैं..

अगर भाव अपने ना हो..तो मज़ा नही देते..
आप ऐसा लिखते हैं तो हमे अच्छे नही लगते

आ जाओ तुम तो दास्तान कहे..
क्या किया तुम्हारे बिना..वो सब बात कहे..

आप हो दुनिया से अनोखे..
आप हंसते हो..जब सब हैं रोते..

बंद दरवाज़ा जब खुल सकता हैं
तो वो लौट कर क्यूँ नही आ सकता हैं..

प्यार हैं ही ऐसा
सब भुला देता हैं...
नफ़रत..हो या..दुनिया
सब भूल जाती हैं

हम आएँगे खुद चल कर..
दरवाज़ा खुला रखना..
मैया मेरी उमीदो मे तुम
हमको ना जुदा करना..

समेट ली हैं मैने किर्छिया जो बिखरी तुम्हारे लिए..

समेट ली हैं मैने
किर्छिया जो बिखरी
तुम्हारे लिए..

मस्जिद मे बना के मैखना..खुदा को क्या मौत बुलानी हैं
कहाँ काम चलेगा एक बोतल से..क्या पूरी क्रेट मंगानी हैं..

दिसंबर जब भी लौटा है मेरे खामोश कमरे मे,
मेरे बिस्तर पे बिखरी हुई किताबें भीग जाती हैं ... !

आज फिर क्या कह दिया सूरज से तुमने,
कि इसका मुंह शर्म से अभी तक लाल है।

सब तो कह दिया बिना लाग लपेट के....
क्यूँ कहते हो नही आता मुझे प्यार की बाते करना

इंतेज़ार मे छिपा हैं तुम्हारा प्यार....
तभी तो आता हैं बार बार

किश्ते कहीं लंबी ना हो जाए..जल्द चुका दो..
प्यार का दर्द हैं..इसे मुकाम तक पहुचा दो..


आएगा राम भी..जब आएगा इतमीनान
आराम से ढूंढीए अपना राम....जै श्री राम 


आप ने जगाया तो जाग गये हैं आज..
वरना तो थे सोए..बरसो से हम थे जनाब
  

हम जाग गये तो सपने कौन देखेगा..
कौन हैं ऐसा..जो मेरे खवाब सहेजेगा

फकीर को दुनिया से क्या काम..

वो तो जहाँ जाए वही हैं आराम..