Tuesday, May 15, 2012


पुराने पड़े बेकार रिश्तो का भी कहीं रीप्लेस्मेंट होता हैं
तू बेकार मे ही परेशान हो रोता हैं

मेरी मुस्कान हो तुम......मेरी पहचान हो तुम

तजी खिदमत वज़ीरी दी
पाई लज़्ज़त फकीरी दी

दोस्ती कितनी भी गहरी कीजिए
अपना तंबू अलग ही तानिए...
दोस्ती दूर तलक जाएगी
रिश्तो मे आँच भी नही आएगी

उसे सब पता हैं..तुमने जो कुछ भी कहा हैं..

तुम आते तो सही...हम दिल का दिया जला लेते


नदी, समंदर, पहाड़ जंगल
सब हैं हमारे देश मे
क्या हमने पूरा देश घूमा हैं?
क्या नही हैं अपने देश मे
तरसते हैं विदेश जाने के लिए
क्या हैं वहाँ सिवाय उँची इमारत के
क्या रखा है वहाँ?
सात्विक देश हैं हमारा
ऋषियों की तपोभूमि हैं
मिलती हैं हर खुशी यहाँ
यही हमारी देव भूमि हैं
विदेश मे भोजन के
नाम पे मिलता हैं हमे
छिपकली, मछली, मकड़ी, केकड़ा
जिसे शराब संग खाया जाता हैं
गर्व करे अपने देश पे
भारत वर्ष हमारा हैं
घूमे पूरा भारत
इसका कण कण हमे प्यारा हैं...जै हिंद

Monday, May 14, 2012

अभी क्या बिगड़ा हैं
क्यूँ नही ट्राइ करते हैं
अंकल पचपन की उम्र
भी कोई उम्र हुआ करती हैं
सेफ रहेगा आपका प्यार
नही करेगा कोई आपसे
सवाल हज़ार...
साफ बच जाएँगे..बड़े बड़े
जासूस भी fail हो जाएँगे
लेकिन एक काम करना
आंटी को ज़रूर विश्वास मे लेना
पकड़े गये तो वही काम आएगी
जमाने के इल्ज़ामात से
आपको वो ही बचा पाएँगी
क्यूंकी हो अगर पत्नी की छत्रछाया
खुदा भी हार जाता हैं
जब काम नही आती कोई औषधि
पत्नी का प्यार काम कर जाता हैं...

प्रियतम मिल गये अब क्या पाना हैं जिंदगी का यही अनमोल ख़ज़ाना हैं..

चाँद हमारी परछाई हैं
ये बात आज समझ मे आई हैं..

तुम्हारी कलम से उसकी खुश्बू आती हैं
ना जाने कैसे वो तुम्हे इतना महका जाती हैं???

आए आप धरती पे...हुई धरती गुलज़ार
क्या कहे आपके ज्ञान, प्रेम को
आप हो बुद्धि, ज्ञान का भंडार
नित नई बातों से अवगत करते
नये नये खजाने लाते......
करते हम पर उपकार
क्या करे समझ नही आ रहा
क्या दे आपको जनम दिन का उपहार...

मेरे मुस्कुराने से हँसी धरती
तुम्हारे रूठने से बिजली चॅमकी
अचानक हुई तेज़ बारिश
धुल गई मन की धरती....

जब भी सर को काटा, तुमने शमशीर से,
ये कलम और भी जिंदा हुई तीखी तीर सी

अनंत काल से अनत की यात्रा पे चले जा रहे हैं
जब तक ना मिले मंज़िल बढ़े जा रहे हैं
मत थकना मुसाफिर, दुनिया की भीड़ मे
रास्ते नित नये बने जा रहे हैं....