Saturday, May 12, 2012

नही करते चाँदनी से शिकायत
ना ही धूप मे निकलते हैं
ए हुस्न तेरी ही हिफ़ाज़त
हम दिलोजान से करते हैं



अब ख़ुशगवार मौसम मे इतनी खीझ
अच्छी नही लगती...पास होकर इतनी बेरूख़ी
अच्छी नही लगती..देखो ना बुलाने मे भी
कितना आमंत्रण छिपा हैं इसलिए जहाँ भी हो
उठो और चले आओ.........
ना लगाओ अब हिसाब किताब...................
मौसम का तक़ाज़ा समझो....अब  ना तड़पाव.....

Friday, May 11, 2012


किसी रोज़ फ़ुर्सत मे गर तुम्हे बुलाया
और पीछे से घर का कोई और भी चला आया
सोचो क्या होगा हमारा तुम्हारा.....
कान खीच के अम्मा कर देंगी बड़े कान
कहाँ पहनुउंगी  मैं बाली, कहाँ रहेंगे साबित मेरे कान
तुम तो बच के निकल जाओगे
मेरे लिए नई मुसीबत खड़ी कर जाओगे...
ना बाबा ना...मुझे बहुत डर लगता हैं.....
नही बुलाती मैं तुम्हे किसी फ़ुर्सत मे...

जख़्मो को हवा मत देना
मेरी मानो तो उन्हे दवा देना
वरना बहुत बढ़ जाएँगे
तुम्हारे लफ़्ज भी तब काम नही आएँगे

मातम छोड़ो हँसो अब
मिलने की रात आई हैं...

इंसान की खुश्बू रहती हैं इंसान बदलते रहते हैं
दरबार लगा रहता हैं यहाँ, दरबारी बदलते रहते हैं.....

काग़ज़ की नाव
कहाँ तक जाती?
उसे तो फसना ही था
था विश्वास से बना सब कुछ
नही किया था उसने कोई अपराध
कभी कभी किस्मत भी नही देती साथ
तब होता हैं ऐसा
हर काग़ज़ की नाव के साथ!!!

संभाल के मेरे दोस्त कहीं खो ना जाना
ये बंदा कुछ खास है तुम्हारा दीवाना


Thursday, May 10, 2012

छल


तुम्हारी आदत आज भी वैसी की वैसी हैं,
ना तुम बदले ना हम
तुम छलते रहे उम्र भर हमे,
हम देते रहे तुम्हे प्रोत्साहन
कैसा था तुम्हारा प्यार,
लहर की तरह हर बार पलट जाता था
जैसे नही आती वो लौट कर कभी,
तुम्हे भी नही आना था
मैं ही करती रही तुमपे उम्र भर विश्वास,
तुम्हे नही आना था नही आए...
ना जाने कैसे कर पाते हो ये सब
सता कर चैन से सो लेते हो अब तक
मुझे तो पता हैं नही आओगे लौट कर
तब भी दीप जला रखे हैं राहों मे
फूल सुवासित कर रखे हैं.....
शायद ये गंध तुम्हे खीच लाए....
पुरानी यादे तुम्हे तडपाए
गर तुम तब भी नही आए...
तो करूँगी प्रार्थना ईश्वर से
राह मे ईश्वर कभी मुझको
तुमसे ना मिलवाए..........
गर मिल भी जाओ तुम तो
मेरी आँखे धोखा खाए.....
तुम्हे कभी ना पहचान पाए...
मेरे लिए तुम्हारी यादश्त भी
कभी काम ना आए............
निर्मोही तू मुझसे इतना दूर
चला जाए............

तुम्हारी हर अदा हमे भाती हैं.............
तुम्हारी हर हरकत हमे दूर से दिख जाती हैं..

गर हो औकात फ्लॅट खरीदने की तो भी
खरीद के क्या करेंगे?
चलते समय सारे फ्लॅट यही पड़े रहेंगे............

किए हैं पाप उम्र भर ना जाने कैसे जीते हैं
मरघट मे रहकर ना जाने कैसे सुकून से सोते हैं..

पगली बारिश पगली लड़की की तरह थी
जो देखती रही बात जाने वाले की आस
बहती रही आँसू रात भर, घूमती रही उदास
जिसे ना आना था ना वो आया..........
लगी रही मन मे अजीब सी आस.....

तब भी बेचारे आँखे मीचे सदियो तक पड़े रहते हैं

कभी तुमने कहा होता, कभी मैने सुना होता
किस्सा प्यार का था दोनो ने रहा होता
मज़बूर थे तुम मज़बूर थी मैं
कैसे प्यार का सावन बिना बादल बहा होगा..


हर अदा लाजवाब देखी हैं
गर्दिशो का जवाब देखी हैं
मत निकला करो चाँदनी मे नहा कर
मैने धुलती हुई शबाब देखी हैं!!!!!!!!!

आज ही बीजें हैं, मैने,

मन, आँगन की क्यारी में,
बस आज ही बीजे हैं......जो कुछ दिन बाद निकल आएँगे...देंगे सबको खुशी..हरे भरे लहल़हाएँगे..

पिघल गया आस्मा...ना रही ज़मीन अपनी...

बचे बाहों के घेरे......ना रही मैं अपनी...

क्या करता मैं भी जब तुम ना मिलती ए जाने जा...

गुज़र रही थी जिंदगी जैसे हो कोई तन्हा
लगा दी हैं आग जिंदगी मे...............
भस्म मुझे कर डाला.....हुलाला हुलाला

वक़्त वक़्त की बात हैं....जो आज अपना हैं....कल किसी और का होता हैं...


किनारे लगाने वाला मझधार मे नही ले जाता

चंचल मॅन हमारा कभी रुकने नही पाता



Wednesday, May 9, 2012

दर्द की बात दर्द से
अब कहीं नही जाती
दर्द हैं इतना गहरा
अब हँसी नही आती



नही आई कोई आवाज़
ना ही था कोई संगीत
मेंढक था समझदार
सोच रहा था कल की बात
गर कूद गये तो क्या होगा
सबके जैसे  हो जाएँगे
नही  तो परमात्मा
का भजन गाएँगे.........
कैसा रे जोगी
रहत अतीता राम रस जोगी...
अब बताए कैसा था मेंढक
डरपोक या साहसी



maut....ek nazar
आज कल मुझे मौत पे बहुत प्यार आ रहा हैं.......

ए मौत सच मे लगता हैं...अब तो आ जा अपने जलवे दिखा जा...नाम तो बहुत सुना हैं तेरा..ज़रा सूरत भी दिखा जा..

हमे निशाना नही बनना इंतेज़ार करना हैं की कब आए और हमे वरण करे

पिया मिलन


मेरे जाने के बाद... मेरे प्रिय
मुझे यू ही ना विदा करना
करना मेरे पूरा श्रिन्गार,
रूप से मुझे यू भरना..............
जैसे हो रहा हो मेरा प्रिय से मिलन
मुझमे यू सब कुछ करना............
भर देना मेरी माँग, अजर सुहागन लगु
लगा के माथे पे बिंदिया, पूरा सज़ा देना
पायल, बिछिया, मंगल सूत्र, सब पहना देना
करके सोलह श्रिगार तब मुझे विदा करना
रह ना जाए कोई कमी, सब कुछ मुझे देना
किया हैं जीवन भर प्रियतम से प्यार
आज मिलने का मौका आया हैं
क्यूँ रोते हो मेरे लिए..
आज मुझमे वो समाया हैं
होगा मिलन आज मेरा और उसका
बरसो जिसने मुझे तरसाया हैं
सच बहुत खुश हूँ मैं
ना कोई रोको मुझे
खुश होकर करो विदा
पिया से जुदा होकर इतने
बसंत मैने कैसे काटे हैं
पल पल किया याद उसे
जुदा होकर ना एक पल रह पाते हैं
आज होगा मिलन....चिर मिलन.....

Tuesday, May 8, 2012

 "समेट लिया बिखरे पत्तो को
अपने अंक मे
ये क्या कम हैं
आप तो बिखरे ही थे
जमाने के लिए"
"सब ले गया ले जाने वाला
क्या बचा आँचल मे.........
खुद ही बिखर गये जमाने मे
क्या बचा फसाने मे"
"वक़्त वक़्त की बात हैं
कल जो आपके साथ थे
आज किसी और के पास हैं"
 "कोई व्यंग नही ना कोई दिलासा
शांत की हैं केवल आपकी जिग्यासा"
"सवाल पूछती हैं जिंदगी हमसे
क्या समय के साथ हम भी बदल जाए
सामने आए जब कोई परिस्थिति तो हिल जाए
या थम ले कोई नया सिरा
और आगे बढ़ जाए"
 "समय का परिवर्तन तो ठीक हैं
इंसानो का परिवर्तन क्या जायज़ हैं
जीने को तो जी ही लेंगे
क्या ये सच्चा जीना हैं"
 "सही कहा दिशा भी हमारी दशा भी हमारी
बदलना हैं खुद को, अब हमारी हैं पारी"
 

तुम्हारा इज़हार


चाँदनी रात थी...............
तारों की झुर्मुट मे चाँद अकेला था
तारो का काफिला चाँद को घेरे था
ठंडी ठंडी हवा बह रही थी
हर तरफ गहन सन्नाटा था
लग रहा था चाँद को कुछ कहना हैं
वो बेचैनी से करवटें बदल रहा था
बात बार बार  लबो तक आकर
लौट जाती थी..शायद उसे कुछ कहने मे
ना जाने क्यूँ शरम आती थी
उसे पता था गर आज ना कह
पाया तो कभी नही कह पाएगा
उसका साथी उस से कही दूर
चला जाएगा...आज आख़िरी मौका था
किसी तरह हिम्मत जुटा कर बोला
"क्या मुझसे प्यार करोगी"
चाँदनी को आ गई शर्म
वो भागी अंदर की ओर
चाँद ने पकड़ा ढेरे से उसका हाथ
और कहा मत करो शोर
वरना सबको पता चल जाएगा
प्यार करने से पहले ही हमारा प्यार
रुसवा हो जाएगा......
वो दिन और आज का दिन
दोनो ने एक दूसरे का हाथ नही छोड़ा हैं
दोनो का प्यार...अब तक बहुत गहरा हैं

Monday, May 7, 2012

तुम्हारा चेहरा

आकाश था नीला

हवा थी ठंडी
फूलो की घाटी महक रही थी
चिड़िया चहक रही थी
सब और एक सन्नाटा था
सिर्फ प्रकति का शोर था

जो दिल को भा रहा था
मन को भिगो रहा था
ऐसे में तुम्हारा आना

चुपके से मेरे माथे को चूम कर
कहीं दूर  विलीन हो जाना
सच मुझे बहुत भाया
ऐसे में तुम्हारा चेहरा बहुत याद आया..
तुम्हारे साथ ने मुझे बहुत सताया ....





माना आप किसी के यहाँ ख़ाली हाथ नहीं जाते

एक वो हैं जिसे हमारे भरे हाथ नहीं भाते
पहले करता हैं वो निर्भार
फिर बुलाता हैं उस पार
केवल लेता हैं हमारा अहंकार
देता हैं असीम प्यार

छा गया सन्नाटा अम्मा के जाते ही..
समझ नहीं आ रहा था ये क्या हो गया

जो बुढ़िया मरने से पहले सब पे बोझ थी
अचानक सब की प्यारी हो गई

आज अम्मा की तपस्या सब को याद आ रही थी
वो बर्तन माँज कर बच्चे को लायक बनाना
सबको अम्मा का समर्पण आज ही क्यूँ समझ आ रहा था?
शायद जाने के बाद ही इन्सान की कदर होती  हैं

वरना कब दुनिया किसी  के लिए रोती हैं...