Friday, December 14, 2012

क्यूँ जिंदगी के बेरंग रंगो मे..

 जिंदगी के रंगो मे 
अपना रंग तलाश करते हो..
चाँद .......     जो रहा उम्र भर उजला..
उसे भी रंगो से भरने की बात करते हो
कभी होगा क्या ऐसा..सोचा हैं तुमने
भरेगा जब रंग हमारे जैसा..
भूल जाएँगे सब कुछ..गम तकलीफ़...मुसीबत..
जो दिया हमे जिंदगी ने कसैला..
ऐसी कैसी तुम बात करते हो..
चाँद जो..उम्र भर रहा उजला ..उसमे
रंगो की तलाश करते हो..
अब नही रहा विश्वास जिंदगी पे..
नही रही आस कोई अपनी खुशी से..
सब कुछ बेकार करते हो..
क्यूँ जिंदगी के बेरंग रंगो मे..
अपने रंग की तलाश करते हो..





3 Comments:

At December 14, 2012 at 10:09 PM , Anonymous Anonymous said...

This comment has been removed by the author.

 
At December 16, 2012 at 2:01 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

shaandar,.............uttar

 
At December 17, 2012 at 5:46 AM , Anonymous Anonymous said...

This comment has been removed by the author.

 

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