Monday, December 10, 2012



अगर चाहोगे तुम मुझ को,,
तुम्हारी साँस से पहले ,,
तुम्हारी जान बन जाउ
अगर देखो गे तुम मुझ को,,
तुम्हारी आँख से पहले ,,
तुम्हारे ख्वाब बन जाउ
अगर सोचो गे तुम मुझ को,,
तुम्हारे पाव से पहले ,,
तुम्हारी राह बन जाउ
मोहब्बत नाम है मेरा,
मुझे तुम सोच कर देखो..

आरजू ख़त्म, जिंदगी ख़त्म

कैसे करेगा कोई सिद्ध
अपने होनेपने को......
ये कोई खेल नही हैं..
ना ही गणित का कोई सवाल
ये हैं उसकी कलाकारी..
जिसे कोई ना पाया पार

टेक्नालजी का कितना फायदा उठाया हैं..
कर के कंप्यूटर लोड मेरी तस्वीर
बार बार निहारा हैं....
कर लिए हैं वर्चुयल व्रत पूरे..
हमने तो सारा दिन गवाया हैं...

अंधेरो मे रास्ता..एक ही दिखाता हैं...
आम भाषा मे जो परमात्मा कहलाता हैं..

सख़्त एहसास को भी नर्म बना डाला हैं..
कैसे किया ये सब...लगता हैं मोहब्बत कर डाला हैं..

मैया का प्यार बड़ा निराला हैं
पल भर मे सब कुछ दे डाला हैं..




3 Comments:

At December 11, 2012 at 9:50 PM , Anonymous Anonymous said...

This comment has been removed by the author.

 
At December 13, 2012 at 11:06 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

mat jana kabhi door........

 
At December 14, 2012 at 6:12 AM , Anonymous Anonymous said...

This comment has been removed by the author.

 

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