Friday, April 27, 2012

  क्यूँ .....हर बार तुम ऐसा करते हो..
फोन नही उठाते मुझे तंग करते हो..
क्या मिलता हैं तुम्हे मेरी पलके भिगो कर
क्यूँ मेरी कोरों को गीला करते हो...
पता हैं कितने मॅन से मैने तुम्हे
फोन लगाया था..ये बताने के लिए
की मैं आ रही हूँ तुमसे मिलने...
जाओ रहनो दो...अब मैने अपना
इरादा बदल दिया हैं......
अब मैं जा रही हूँ...अपनी मम्मी के पास
जो ना जाने कितने दिनो से मेरी
बाँट जो रही हैं...उनके साथ सांझा करूगी..
अपने बचपन को...अपनी गुड़िया को.....
और उस गुड्डे को भी........
जिसने मुझे आज तक नही रुलाया...

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