Saturday, April 28, 2012


गुल्मोहर ................पता हैं तुम्हे...........
तुम मुझे कितना पसंद हो
तुम्हारे शोख रंग..........
मुझमे नई शोखिया भर देते हैं
घनी धूप मे तुम्हारा झूमना
मुझसे मेरे ही ताप को हर लेते हैं
कई बार तो सोचती हूँ.....
अपना शोख रंग
सब जगह नही बिखराउंगी
लेकिन तुम्हे देखते ही
सारे वादे जो किए थे अपने आप से
खुद ब खुद टूट जाते हैं....
जब सारे पेड़ो के पत्ते
पीले पड़ जाते हैं.....
उस खीज़ा के मौसम मे भी तुम
निरंतर मुस्कुराते हो.....
यही तो मुझे तुमसे सीखना हैं
गम हो या खुशी बस हंसते रहना हैं
मेरे अपने प्रिय...गुल्मोहर..... बिल्कुल तुम्हारी तरह...

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home