हमारा मन . . नही रहता....हमारे पास
जब मैं
तुम्हारे साथ होती हूँ
खुद को सारी दुनिया से
खाली कर लेती हूँ
नही रखती मन मे
कोई गुबार....
फैला होता बस
चारो तरफ
प्यार ही प्यार..
तुम्हारी प्यारी बातें
मन को गुदगुदाती हैं
जब छेड़ देते हो
मन की तरंगे
मन कही खो
सा जाता हैं
जैसे खुलने के बाद
उन(वूल) का गोला
उलझ जाता हैं
और बड़ी मुश्किल से
हाथ आता हैं
ऐसे ही हमारा मन . .
नही रहता....हमारे पास
तुम्हारे पास
सरक जाता हैं
वो बोले दुश्मनी पे लिखो
वो बोले दुश्मनी पे लिखो
मैने कहा कैसे लिखूं..
नही हैं मेरी किसी से दुश्मनी..
वो बोले महसूस करो
दुश्मनी के धागों को...
प्रेम के धागों को उलझाओ....
कुछ तीखे शब्दो के तीर चलाओ
रखो ना मन मे कोई समझौते की गुंज़ाइश
खड़ी हो जाएगी..दुश्मनी की इमारत......
ना झुकना कभी, अड़े रहना..
तान के सीना हरदम खड़े रहना....
इमारत बुलंद रहेगी....
प्रेम तो यहाँ......रह नही पाएगा.
नफ़रत की चिड़िया....हर समय
फुदगती रहेगी...
आज मैं अनमोल हूँ
मैं निष्प्राण हूँ...
इसलिए पूजा गया
मैं सम्मान हूँ
क्यूंकी मैने कुछ ना कहा,
वक़्त की ठोकरों से घिसा
कठोर पाषाण हु,..............
इसलिए ठोका गया
कभी अटल अदम्य सा
इसलिए सब कुछ मिला
आज मैं अनमोल हूँ
मैने अपना सब कुछ
अर्पण किया!!!!!!!!!!!