Friday, July 22, 2011

आँखो का ख़याल आते ही




आँखो का ख़याल आते ही 
ना जाने क्या हो जाता हैं मुझे
किसी ग़रीब की जर्द पीली आँखे दिखती हैं मुझे
जिसने बरसो से ढंग से खाना भी खाया हो..
कभी दिखती हैं शराबी की लाल सुर्ख आँखे
जो गम ग़लत करने के लिए पी आया हो कहीं से
कभी दिखती हैं किसी बेबस मज़बूर बाप की आँखे
जिसकी बेटी कवारी बैठी हो दहेज के लिए......
कभी दिखती हैं किसी बूढ़े माँ-बाप की आँखे
जिनका बेटा अधर मे छोड़ गया हो उनको..
अपनी महत्वकाँशा के लिए.........
कभी किसी प्रेमिका की आँखो मे झाँका मैने
तो उसे प्रियतम का इंतेज़ार करते पाया हैं
या फिर किसी रूपसी की दर्प से भरी आँखे
आँखे हैं की बिन बोले सब बयान कर देती हैं
गम मिले क्या खुशी जिंदगी मे.....
सब बखान कर देती हैं...
कैसे करू शुक्रिया इन आँखो का 
ये तो बस ना करने वाला काम
भी कर देती हैं..

लम्हा सुहाना यहाँ जो मिला..



तेरी गलियाँ हैं हमदम मेरे लिए
तेरी फ़िक्र से हूँ जिंदा मेरे सनम
हर तरफ हैं धुआँ ही धुआँ......
तुझे भी खबर, मुझे भी पता
हाथ को हाथ देता सुझाई नही
क्या करूँ रख के खबर
किसी और की तेरे सिवा?
बढ़ रही भीड़ दुनिया मे
आज कल.................
नही कुछ खबर "पल" की यहाँ
जीना हैं तो जी ले हर एक पल
लम्हा सुहाना यहाँ जो मिला...

Thursday, July 21, 2011

तेरी तरसती निगाहे



तेरी तरसती निगाहे 
गर खोजती हैं मुझे
तो मुझ तक पहुचती
क्यूँ नही....
क्यूँ करती हैं देर आने मे....
मैं तो अब भी उसी मोड़ पे हूँ 
जहाँ छोड़ा था तुमने मुझे..
प्यार का जो नन्हा बीरवा 
रोपा था जो धीरे से मेरे मॅन मे
फूल कर बहुत बड़ा हो चला हैं
दुपट्टे का कोना भी साडी की
लंबी चीर मे बदल चुका हैं
चाँद भी हैं..तारे भी हैं...
हमारे प्यार के गवाह..
ये सितारे भी हैं..........
बस तुम नही हो...
गर्म एहसास तुम्हारा
आज भी मुझे..जलाता हैं...............
तेरे यही कहीं आस पास ..............
होने को दर्शाता हैं.......................
निकल जाए ना वक़्त हाथों से....
डोर ना टूट जाए अपनी सांसो की
कह रही हैं तुम्हारी नर्म साँसे तुमसे...
एक बार चले आओ.................
अब उम्र के आख़िरी पड़ाव पे
खड़ी हूँ...यू ना तड़पाव...
मौत भी आ जाएगी चैन से..
देख लूँगी तुमको गर जी भर के..

रुदाली




सुना हैं होती थी रुदालिया
जो दूसरो के गम मे 
जा जा के रोया करती थी
पर समझ नही आया अब तक
ऐसी परंपरा क्यूँ थी?
क्या अपने दुख उनके रोने से
हल्के हो जाते हैं?
दुख तो दुख होता हैं
दूसरो के रोने से कहाँ जाता हैं?
ये तो लहू बन कर ....
भीतर मे कहीं जम जाता हैं..
जो खरोचने से भी 
नही निकलता हैं
खुद के दुख को दूसरा रोकर
कैसे बाँट सकता हैं?
यह बात अब तक नही पड़ी पल्ले..
मन बार बार यही प्रशण करता हैं?
चंद पैसो के लिए नकली रुदन
कहाँ से निकली परंपरा हैं?
दुख तो पहाड़ जैसा होता हैं
जिसके सिर पर टूटता हैं
वो ही समझ सकता हैं
रुदाली चाहे कितना भी रो ले
क्या कभी दुख कम होता हैं?
नही..............
दुख तो परमात्मा के
द्वारा भेजी गई सौगात 
जैसा होता हैं
जो इस बात को जितनी 
जल्दी समझ लेता हैं
वो जिंदगी को उतनी की 
शानदार तरीके से जीता हैं

    • Suman Mishra बहुत सुंदर दी......रुदाली शब्द ही बहुत विराट है,,,
      20 hours ago ·  ·  1 person
    • Aparna Khare but suman ji...utni achhi nahi ban padi hain...
      20 hours ago · 
    • Suman Mishra ये शब्द ऐसा है की आप इसमें डूबते जाइए.....सच मैं आपने ऐसे ही शब्दों को उकेरा है,,,
      19 hours ago ·  ·  1 person
    • Vandna Tripathi रुदाली सामंतवादी व्यवस्था का प्रतीक है...जहाँ दुःख का भी प्रदर्शन किया जाता है...भाड़े पर बुलाये गए रुदन करने वाले कलाकारों से....
      19 hours ago ·  ·  3 people
    • Aparna Khare ji vandana di....kaise kaise riwaaz...
      19 hours ago · 
    • Vandna Tripathi kaise kaise riwaz aur kaise kaise mijaz....apna dukh bhool kar doosron ke dukh ka abhinay karna......
      18 hours ago · 
    • Ravindra Shukla सामंतवादी प्रथा का नंगा सच -----जो मार्मिक और दुखद है ------..
      18 hours ago ·  ·  2 people
    • Aparna Khare जी दादा आभार आपका जो आप चुनिंदा विषय ढूँढ के लाते हैं
      18 hours ago · 
    • Vandna Tripathi क्या क्या याद करेंगे,दादा...आज हम आरक्षण का विरोध करते हैं....वो समय याद कीजिये....जब बहुत स्थानों पर दलित लोगों की नव विवाहिता वधु पहले ठाकुर की हवेली में उतरती थी...ये एक परंपरा जैसी बन गयी थी...यदि आरक्षण न दिया गया होता तो दलितों का आज क्या स्तर होता.....
      18 hours ago ·  ·  2 people
    • Aparna Khare sach kaha Vandana Di.............aj ham jaha bhi hai apne vicharo ke bal pe hain...
      18 hours ago ·  ·  1 person
    • Ravindra Shukla वन्दना सच बड़ा घिनोना होता है आज भी हम अपने को बदल नहीं पाए है ----वही सामंती आवरण की गुफा में अपने को बन कर चुके है --ये सब क्या है ---क्या समकालीन व्यक्तियों का ये काम नहीं है की ऐसे विषय उकेरे ----सबका आभार ---..
      18 hours ago ·  ·  2 people
    • Ravindra Shukla कभी वो भी लिखना चाहिए जो परिवेर्तन की मांग हो ----प्रयास मेरा यही रहेता है ---माध्यम तुम सब होते हो -----..
      18 hours ago ·  ·  2 people
    • Aparna Khare ji dada..
      18 hours ago ·  ·  1 person
    • Vandna Tripathi maine ek samooh me ek baar aise dabe kuchale logon ki pairavi kar dee thee to koi mere samarthan me nhi aya tha....sare log mujhe galat sabit karne me lage the...
      18 hours ago ·  ·  3 people
    • Ravindra Shukla बहावके साथ तो सभी बहते है ---विपरीत बहाव में बहना ही सुरमा होता है ----वन्दना कभी जब ऐसा हो तो मुझे पुकारना ---हम वही होंगे -----..
      18 hours ago ·  ·  2 people
    • Vandna Tripathi ji bilkul...
      18 hours ago ·  ·  2 people
    • Aparna Khare vandana di gangotri se ganga sagar ki yatra to sab kar lete hain but ganga sagar se gangotri ki aur behna mushkil hain...jo ap ne kiya..
      18 hours ago ·  ·  1 person
    • Vandna Tripathi sneh aparna...bada manobal mila...
      18 hours ago ·  ·  1 person
    • Aparna Khare di ap hamare sath hain...yahi hamara Manobal hain..
      18 hours ago ·  ·  1 person
    • Vandna Tripathi maine aaj subah kuchh halat dekhe...unko likhte huye...sunita yadav ji ki post par kuchh comment kiya hai dekhna...
      18 hours ago ·  ·  1 person
    • Aparna Khare ok...just a moment
      18 hours ago · 
    • Vandna Tripathi di ap hamare sath hain...yahi hamara Manobal //तुम लोगों का यह स्नेह मुझे कर्त्तव्य च्युत कर देता है...काम में मन नही लगता...बस यही ठेलुआ गिरी चलती रहती है...हा ...हा..
      18 hours ago ·  ·  2 people
    • Aparna Khare Love U sooooooooooo much Diii
      18 hours ago ·  ·  1 person
    • Vijaya Pant Tuli Mountaineer Ab jaake Rudaali ka matlab samajh aayaa-----thnx
      17 hours ago ·  ·  1 person
    • Suman Mishra वंदना दी,,,,मस्त लिखा है आपने////
      16 hours ago · 
    • Anubhav Rastogi सत्य से ओत प्रोत हैं बातें तेरी
      वथा कथा है इनमे सबकी
      हस्स्तें हैं लोग यहाँ घावों पर मेरे
      किसे जरूरत यहाँ मरहम की
      बिकती है हर चीज़ यहाँ बाजारों में
      जाओ कुछ मोल लगा दो
      मेरे लिए भी दो अस्सुं चल्काने में.......
      14 hours ago ·  ·  3 people
    • Bhuwnesh Prabhu Joshi aparna jee....itni gahri or marmik abhivyakti..,

      bindu prakat karne ko badhai hai jee.
      14 hours ago via Facebook Mobile ·  ·  2 people
    • Suman Mishra अनुभव जी क्या बोलूँ मैं शब्द नहीं है मेरे पास....जिसे हम पूरे दिन मैं नहीं कह पाए,,,वही आपने इतनी आसानी से कह दिया,....बहुत सुंदर,,,,और सत्य ,,,
      13 hours ago ·  ·  2 people
    • Anubhav Rastogi धन्यवाद सुमन जी
      12 hours ago ·  ·  1 person
    • Aparna Khare thanks Anibhav ji....Vijaya ji
      11 hours ago ·  ·  1 person
    • Anubhav Rastogi aap ki racha sunder aur spast hai
      11 hours ago · 
    • Aparna Khare apko pasand ayi.......mera likhna sarthak ho gaya
      11 hours ago ·  ·  1 person
    • Anubhav Rastogi ये तोह आप का बरड्पन है , आपकी रचना प्रस्न्सनिये है
      11 hours ago ·  ·  1 person
    • Amit Agarwal aparna ji aapney sadharan bhasha main rudaali ko samjhaya iske liye dhanyawaad.....sundar kavita....
      57 minutes ago ·  ·  1 person
    • Ravindra Shukla hhhhhhhhhhhhhaaaaaaaaaaaaa​aaaaaaaa petro kyaa baat hai ---rudaali ko hame bhi samjhaao---agar samjh gye ho to ---
      56 minutes ago ·  ·  1 person
    • Amit Agarwal anubhav,,,har cheej bikti hai yahan..bas mol dene waala chahiye...prem ka mol bhi hota hai....prem...
      55 minutes ago ·  ·  1 person
    • Amit Agarwal aap miliyega to aap se jo samjha hai..wapas samjha doonga...
      54 minutes ago ·  ·  1 person
    • Ravindra Shukla Amit Agarwal--itnaa gyaan kidhar se laate ho mitr ---rudaali ki vyaakhyaa karo------
      54 minutes ago ·  ·  1 person
    • Ravindra Shukla hhhhhhhhhhhhhhaaaaaaaaaaaa​aaaaa bahut khub --amit ---
      53 minutes ago ·  ·  1 person
    • Ravindra Shukla आओ सभी सवेदनशील मित्रों
      मिल कर रोयें हम
      चाँद की उदासी तुम उधार मांग लाना
      और गंगा का उदार पाट तुम लाना
      कैलाश की ऊँचाई तुम लाना ए प्रिय
      और मैं उधार लायूँगा मयूर के आंसू
      तुम रुदालियों को भी न्योत कर आना
      न्यौता उनको जरूर देना
      कि महाशोक का उत्सव है
      और उन्हें आंसुओं के दाम जरूर मिलेंगे
      एक महा रुदन होगा........---------(शब्द​ साभार ).....
      48 minutes ago ·  ·  1 person
    • Nirmal Paneri ये केसा रुदाली का रुदन है ...अपर्णा जी ????????????????!!!!!!!!!!​!
      42 minutes ago ·  ·  2 people
    • Aparna Khare bahut acche....amit ji
      5 minutes ago ·