Friday, June 24, 2011

कैसा होता होगा भगवान...


कैसा होता होगा भगवान...
पिता जैसा ..अनुशाशित
माँ जैसा .. ममतामयी .
बहन जैसा ...स्नेही
भाई जैसा...दोस्ताना
पत्नी जैसा...एकनीस्ट
पति जैसा..आत्मीय
बच्चो जैसा...चंचल
दोस्त जैसा...हमेशा साथ निभाने वाला
या फिर गुरु जैसा...परिपूर्ण
भगवान तो शायद इन सबका..
मिक्स्चर होता है..
जब जिसकी ज़रूरत होती है..
उस रूप मे सामने आ जाता है..
ज़रूरत है पहचानने की..
यही पे हमसे भूल हो जाती है..
और वो हमसे दूर  
बहुत दूर  चला जाता है..
पहचाने भगवान को...
बढ़ाए ईश्वर मे अपने 
ईमान को..
क्यूंकी..प्यार..भरोसा ही 
भगवान है..
अगर प्यार भरोसा ना हो तो 
दुनिया वीरान है...
दुनिया वीरान है............



1 Comments:

At April 22, 2017 at 8:56 AM , Blogger Unknown said...

What a divine Poem you have written. I Understand your
poetry

If you have time read this


http://www.speakingtree.in/ritesh-gupta-8



 

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